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Poetry

Vijayalaxmi believes that “poetry is a condensed form of art that uses words to elicit an emotion in the reader. On paper, words may look like symbols, but the emotion that poems elicit in us is much more immediate and physical.

For this reason, we must therefore pay close attention to every element of the poem from both the writer’s and the reader’s perspectives. When we are open to the words’ music and meaning, the poem has the potential to envelop our entire being and body.”

Along with her impeccable work of music, she is also a poet who expresses her emotions and thoughts through the boundless art of poetry. She recently launched her poetry collection, “Hridayrang” and her upcoming books include “Laagir” “Kshema Lagi” “Sanskruti Samvedana” and “Gaane Ulgadtanna”

समय बीत रहा है
कोई खबर नहीं
उस दिशा की
हवा भी ठहर गयी

जख्म बदन के भर दो
कामना यही करेंगे
दिल के जख्म भरे तो
हम कहीं के ना रहेंगे

कितनी शिद्दत की
तब आपको पाया
मौन रखने को कहा
हमसे रोया भी न गया

ठिक होगे ऐसे समझे
हाल भी किससे पुछे
जो भी इर्द-गिर्द तुम्हारे
हमे अपना दुश्मन समझे

मशगूल रहते हैं लोग अपनी दुनियां में
मैंने अपनों की खोज की तो समझी
अपनी तो दुनिया ही नहीं……

जब लगा दुनिया तो अपनीभी चाहिये जिंदगी में
सबको टटोल के देखां, मेरी दस्तक किसी के दिल के पार पंहुचीही नहीं…..

ऐसे ही मिलते हैं, बातें करते हैं, दिल ही दिल में
दिलभी मजबूर हैं, लगता बेकसूर है, दूरी कितनी है
उसको अंदाजा भी नहीं….

बिखरे हैं अपने, गली मुह्हलोमें, मगन अपनी रिवाजो में
रिवाजोंको समझनेकी कोशीश की तो समझी
जिंदगीके व्यवहारसे इसका ताल्लुकात है दिलसे नहीं

मेरी खोज चल रहीं हैं कोई अपने जैसा समझदार पानेमें
हरबार मिलता है कोई नया जिसकी समझ मेरे समझ में
आती ही नहीं

गीत मै गुनगुनॉंवू
तुम बनना साज
मेरेतेरे सूर मिलेंगे
आज ओंठ तेरे सिले
नज्म बनें राज
कैसे लगाएं ऎसे
प्यार का अंदाज?

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